बैशाख ०४ गते
बज्जिका अन्तरवार्ता — अपनेके परिचय देल जाओ ।
श्रीकृष्ण ः बहुत बहुत धन्यवाद, सबसे पहिले एई वर्तमानकाल दैनिक टिमके हार्दिक बधाई, जे मधेशके बिचमे रहल रौतहट जिलाके भी बिचमे एगो दैनिक पत्रिका निकालेमे सफल रहल हए । पत्रिकाके आबेबाला दिनमे प्रगति होइत रहेसे शुभकामना हए ।
हमर नाम किशुनदयाल यादव, घर रौतहट जिलाके गरुडा न.पा. ५, महममदपुर, कृष्णनगर । पेशासे शिक्षक आ बज्जिका सेवी । अभी बज्जिका साहित्य संगम रौतहटके अध्यक्ष । हमर साहित्यिक नाम श्रीकृष्ण जे बज्जिकाके भिष्मपिताह्म डा. अवधेश्वर अरुणसे मिलल हए ।
बज्जिका भाषाके नामाकरणके विषयमे पाठकके जानकारी करादू ।
श्रीकृष्ण ः भारतके महापण्डित उपाधिसे विभुषित राहुल सांकृत्यायन जे बहुत वढका घुमकड रहस । हुन अपन भारतसे चिनके यात्राके क्रममे बैशाली मुज्जफरपुर, सितामढी होइत नेपालके एही क्षेत्र होइत चिन जाएके क्रममे जे लोगसे बातचित कएलनसे बात हुन बिसबि सताब्दीके पूर्वाधमे यात्रा वृतान्तमे ए क्षेत्रके भाषा बज्जिका हएसे कहले छथिन ।
बजिजका भाषाके बर्तमान अवस्था केहन हई ?
श्रीकृष्ण ः बजिजका भाषाके बर्तमान अवस्था बहुत ठिक हए । अभी हमनी सबजने एमे लागल भिरल छी । ई भाषा अभी विकासके क्रममे हए । अभी ए भाषामे बहुत कृतिसब भी प्रकाशन होरहल हए । ए भाषापर बहुत आदमी अपना अपना जगहसे काम कर रहल छथिन । जेमे बजिजका भाषा विज्ञय सञ्जय साह मित्र, पूर्व सिडियो साहेब डा. कम्लेश्वर कुमार सिन्हा, कृष्ण प्रसाद वर्मा, जयप्रकाश यादव, बजिजका साहित्य संगम रौतहट, बज्जिका समृद्ध समाज नेपाल आ बहुतसे साहित्यकार अपन लेख रचनाके माध्यमसे । हमनीके अपन राज्यसे भाषिक अधिकार लेबेके लेल अभी होए जारहल राष्ट्रिय जनगणनामे अपन मातृभाषा बज्जिका बेसीसे बेसी लिखाऊ । ई बजिजकाके प्रति अपनेके लगानी होई ।
बज्जिका साहित्य संगमके उदेश्य कथि ?
श्रीकृष्ण ः बजिजकाञ्चल क्षेत्रमे रहल मातृभाषा बज्जिका, बज्जिका परम्परा, लोक संस्कृती, रितिरिवाज, लोक साहित्य ई सबके विकास आ समृद्धि के साथे बज्जिका भाषा सेवीके मान सम्मान, बजिजका भाषाके सभा समेलन, गोष्टी, प्रतियोगीता कराबेके आदि ।
बजिजका साहित्य संगमके अभीके अवस्था केहन हए ?
श्रीकृष्ण ः बज्जिका साहित्य संगम रौतहट अभी बहुत सक्रिय हए । अभी संस्थाके नियमित साहित्यिक कार्यक्रम सब कररहल हए । सर्लाहीके बलरामे रहल काका सामुदायिक सिकाई केन्द्रके प्रकाशनमे कक्षा १ के किताब शैक्षिक सत्र २०७७से ही छपाके सर्लाही आ रौतहटके बहुत पालिकामे लागू हए । आ आवेबाला शैक्षिक सत्र २०७८मे कक्षा २ आ ३के किताबके लेल लेखक साहित्यकारसे लेख रचना संकलन करेमे भी बज्जिका साहित्य संगम सहयोग कररहल हए ।
बज्जिका साहित्य संगमके अध्यक्षके हैसियतसे अन्तमे कुछ कहम ?
श्रीकृष्ण ः बजिजकामे होरहल गतिविधि रखेके अवसर देलि बहुत बहुत धन्यवाद । सब आदमी राष्ट्रिय जनगणना २०७८मे अपन मातृभाषामे बज्जिका जरुरसे जरुर लिखाऊ । धन्यवाद ।