बैशाख ०४ गते
सबे दिन समुन्दरके कान्हीपर रहइत रहे । लुखी अपना बच्चाके लेके चराउर करे जाए ।
एक दिनके बात हए । सब दिनके लेखा लुखी अपना बच्चाके लेके चराउर करे गेलक । खाएला ओतना नमिलल त अपना बच्चाके समुन्दरके कान्हीपर छोरके आगा निकलगेल चराउर करे । लुखीके चलगेलाके बाद समुन्दरके बहुता पानी आके लुखीके बच्चाके दहाके लेगेलक ।
लुखी चराउर कके साँझके समय अएलक त देखइता कान्हीपर बच्चा नहए । लुखी बुझगेल कि हमरा बच्चाके समुन्दर लेगेलक । ऊ खिसियाके कहलक कि तू हमर बच्चा देदे । तोहरा पानीपर बहुत घमन्ड हऊ त हम पूरा पानी सुखादेबऊ ।
केतना देर रुकलक लेकिन समुन्दर बच्चा नदेलक । ऊ आउरो खिसियाके कहइता कि अब हम पूरा पानी सुखादेबई । एतना कहइत लुखी अपन लङडी (पोंछ) समुन्दरके पानीमे डुबाके कान्हीपर मारदेबे । फेर डुबाबे आ कान्हीपर मारदेबे । एहिना करइत करइत बहुत रात होगेल । लुखीके विश्वास रहे कि हम समुन्दरके एहिना सुखादेम ।
अधरतियाके बादके समयमे भगवान शिवजी पार्वतीके साथे सैर करे जाइत रहे । समुन्दरके कान्हीपर देखलक कि लुखी केतना देरसे काहे पानीमे पोंछ डुबाके कान्हीपर मारइत हए । कथि भेल हई ? बहुता देर देखलाके बाद पार्वतीजी पुछलक – कथि भेलहओ ? केतना देरसे काहे ओनती करइछा ?
लुखी कहलक – देखू, हम अपन बच्चा एही कान्हीपर छोरके चराउर करे गेलरहली ह । ई समुन्दर हमर बच्चाके दहाके लेल हए । हम कइसे जियम । हमरा दुनियामे कौनो नबा, खाली हमर एगो बच्चा रलख उहो समुन्दर दहाके लेगेल । ओहीसे हमहू समुन्दरके पानी सुखाबेला एना करइछी । हमर बच्चा नदेतई हम समुन्दरके पानी सुखादेबई ।
लुखीके बात सुनके भगवान शिवजी पार्वतीजीसे कहलक – देखू त, एतना छोट पन्छी । अपना बच्चाके लेल समुन्दरसे लडाइ करेपर तुलल हए । समुन्दरसे लडाइ सुरु कएले हई । अपना बच्चासे ऊ केतना प्यार करइत हए ।
शिवजीके बात सुनलापर पार्वतीजी कहइता – अपने समुन्दरसे कहू कि एई मतारीके बच्चा लौटादेतई न त हम समुन्दरके पानी सुखादेबई । मतारीके दाह हमरासे देखल नजाइता ।
शिवजी समुन्दरसे कहलक – हे समुन्दर, एगो मतारी अपना बच्चाके दाहसे तोरासे संघर्ष करररहल हए । संसारभरके सभी माई तोरा विरोधमे खडा होएके अवस्था हओ । माईके बात सुनके आ हमर बात मानके तू लुखीके बच्च लौटादेहू ।
तइकादेरके बाद बहुत पानी आएल आ बच्चाके कान्हीपर रखदेलक ।
पर्सा, गढीमाई नगरपालिका, रौतहट