बैशाख ११ गते
भोरेभोरे उठके अपन हाथ मागल कागजपर चलबइछी
मजान नमानव हम बिना कलमके कवि छी
आई एकरासे मगली काल होकरासे मागव
नदेबेबाला तरसे बहुत स्पिडमे काहे नभागव
बात गरमसे ठन्ढा होएलापर हम ओकरेतर अबइछी
मजाक नमानव हम बिना कलमके कवि छी ।
दोसरके कलमसे हम निक निक कविता लिखब
दोसरसे केना मगइछै, सेहो उपाय त सिखब
दोसरके कलमसे हम कए दिनतक काम चलबइछी
मजाक नमानव हम बिना कलमके कवि छी ।
हमरा अपन कलम किनेमे डर लगैअ
दोसरके कलमसे लिखेमे बड मन लगैअ
हमरा नहोएलासे हम निक निक कलम पबइछी
मजाक नमानव हम बिना कलमके कवि छी ।
हे भगवान हम अपना कलमसे कहिया लिखब
दोसरसे नमागे परइछै, से हम कहिया सिखब
हम अप्पन सुख–दुखके कहानी आहाँके काहे सुनबइछी
मजाक नमानव हम बिना कलमके कवि छी ।
भोरेभोरे उठके अपन हाथ मागल कागजपर चलबइछी
मजान नमानव हम बिना कलमके कवि छी
सोनमा ६, मगरथाना, महोत्तरी